डर, घबराहट, और निराशा, एक स्वाभाविक भावना हैं जो अपने लक्ष्य के लिये काम करते वक्त आ जाता हैं। अब सवाल यह उठता हैं की ऐसी भावनाओं के आने पर क्या किया जाये। सबसे पहले हमें उसे धन्यवाद देना चाहिए की हम यह तक पहुँच सके की हमें ऐसी भावनाओं का सामना करना पड़ रहा हैं। दूसरा हमें अपने लक्ष्य जो की देश का ऐश्वर्य बढ़ाना हैं, के लिये बनाये गए अपने रणनीति को दुबारा review करना चाहिए। अगर हमारी रणनीति हमें हमारे अंतिम लक्ष्य तक ले जा रही हैं तब हमें सही मार्ग पर रखने के लिये उसे धन्यवाद कहना चाहिए। अगर हमारी रणनीति हमें हमारे अंतिम लक्ष्य तक नहीं ले जा रही हैं तब हमें उसे हमारी कमियों को दिखाने के लिये धन्यवाद कह कर नई रणनीति बनाने में लग जाना चाहिए। तीसरा हमें डर, निराशा, और घबराहट के कारणों को समझ कर उसके समाधान पर ध्यान देना चाहिए और उससे निजात पाने के मार्ग पर अपने बनाई रणनीति के अनुसार लग जाना चाहिए। सभी देशवासियों को मेरे देश के ऐश्वर्य में अपना योगदान देने के लिये देशभक्ति की एक मिसाल कायम करते हुए देश में 100 से अधिक नये विश्वविद्यालय खुलवाने में लगने वाले कई करोड़ करोड़ रुपये का इंतजाम करें। धन्यवाद श्री कृष्ण, धन्यवाद श्री अर्जुन।