मेरे देश के विरोधी अपने कार्यों से देश में नफरत, अशान्ति, और स्वार्थ का माहौल बना कर देश के ऐश्वर्य को हानि पहुँचने का कार्य कर रहे हैं। मेरे देश के ऐश्वर्य के लिये देश के विरोधियों को वश में करना उतना ही जरूरी हैं जितना की अपने देश के मित्रों से व्यवहार बनाना। इस कार्य के लिये प्रेम, शांति, और आभार का माहौल बनाना होगा, फिर चाहे उसके लिये साम-दाम-दण्ड-भेद का ही प्रयोग करना पड़े। प्रेम, शांति, और आभार हमें उसके करीब ले जाता हैं जिसने मेरे देश को बनाया हैं और जो मेरे देश के संचालन को देख रहा हैं। मेरा देश मेरे देशवासियों के प्रेम, करुणा, और अपने पन के बुनियाद पर बना हैं । मेरे देश के विरोधी इसी बुनियाद पर चोट कर अपना उल्लू सीधा करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन वे मेरे देश और मित्र देशों के सामर्थ्य को कम आँकने की गलती ना करें। देशवासियों के हृदय में प्रेम, आभार, और एकता के भाव को बनाये रखने के लिये अगर करोड़ों रुपये खर्च करना पड़े तो मेरा इससे जरा भी हिचकिचाएगा नहीं। मेरे देश की पराक्रमी सेना अपने सामर्थ्य का प्रयोग कर देश के विरोधियों में भी प्रेम, शांति, और आभार का भाव पैदा करने में सक्षम हैं। धन्यवाद श्री कृष्ण, धन्यवाद श्री अर्जुन।