जलन, गुस्सा, और आलस, जैसे धब्बे मेरे देश के ऐश्वर्य पर ग्रहण जैसे लगे हुए हैं। इनके प्रभाव को कम करने के लिये मेरे देश में पुस्तकालयों, ऑफिसों, और कारखानों की शृंखला का निर्माण, संचालन, और रखरखाव आवश्यक है। इस कार्य को पूरा करने के लिये पढे-लिखे देशवासियों की अनुशासित फौज और करोड़ों रुपये की आवश्यकता हैं मेरे देश को। पुस्तकालय, ऑफिस, और कारखाने, देशवासियों के शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के स्तर को बेहतर करने में मददगार सिद्ध होंगे। इससे व्यापार में वृद्धि होगा जिससे मेरे देश का ऐश्वर्य बढ़ाने वाले कार्यों को सहायता मिलेगा और अर्थव्यवस्था मजबूत होगा। धन्यवाद श्री कृष्ण, धन्यवाद श्री अर्जुन।