वो हर जगह है, हर किसी में हैं, वही सबके दुखों का कारण है तब भी उसके पास ही जाना है।
वो निर्गुण हैं निराकार हैं तब भी आखों के सामने हैं।
वो निरंतर हैं, अनंत हैं, वो ही सभी ऐश्वर्य को उत्पन्न करने वाला हैं लेकिन वो ही काल का भी काल महाकाल हैं और विनाश का कारण हैं।वो अजन्मा, अविनाशी हैं और सभी सुखों का परमपीता परमेश्वर हैं, सबके प्राणों को हरने वाले उस परम सत्ता को सर्वस्य अर्पण करता हूँ।
धन्यवाद श्री कृष्ण, धन्यवाद श्री अर्जुन।